रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। 2025 में भी यह संघर्ष और अधिक जटिल और हिंसक रूप ले चुका है। दुनियाभर की नजरें इस युद्ध पर टिकी हुई हैं क्योंकि इसका सीधा असर तेल, गैस, खाद्यान्न और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
🧨 ताज़ा घटनाक्रम (July 2025):
- रूस ने पूर्वी यूक्रेन में नई मिसाइल स्ट्राइक की जिसमें कई सैन्य ठिकाने और ऊर्जा केंद्र क्षतिग्रस्त हुए।
- यूक्रेन ने जवाबी हमले में ड्रोन्स का उपयोग कर रूसी बॉर्डर एरिया में हमले किए।
- कीव और खारकीव में बिजली संकट और आम जनता को खाने-पीने की वस्तुओं की भारी किल्लत।
- NATO ने यूक्रेन को और अधिक रक्षा सहायता देने का फैसला किया है।
- संयुक्त राष्ट्र ने युद्धविराम की अपील की है, लेकिन दोनों देशों में कोई सकारात्मक संकेत नहीं।
🔥 युद्ध का कारण अब भी वही?
हालांकि युद्ध की शुरुआत फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों में हस्तक्षेप से हुई थी, लेकिन अब यह सिर्फ सीमाओं का नहीं, रणनीतिक दबदबे का युद्ध बन गया है।
रूस का कहना है कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को लेकर यह कर रहा है, जबकि यूक्रेन इसे स्वतंत्रता और संप्रभुता की लड़ाई मानता है।
🛢️ वैश्विक असर:
- तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल।
- यूरोपीय देशों में ऊर्जा संकट।
- भारत में खाद्यान्न और उर्वरक सप्लाई पर प्रभाव।
- डॉलर मजबूत, लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव।
🏥 मानवता पर संकट:
अब तक लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शरणार्थी कैंपों में जीवन जी रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार:
- लगभग 80 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं।
- बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ा है।
- युद्ध क्षेत्रों में अस्पतालों की कमी और दवाओं की भारी जरूरत है।
📌 भारत की भूमिका और स्थिति:
भारत ने अब तक तटस्थ रुख बनाए रखा है, लेकिन हालिया घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है। भारत ने दोनों देशों से शांति और बातचीत के ज़रिये समाधान निकालने की अपील की है।
🔚 निष्कर्ष:
Russia-Ukraine War 2025 अब सिर्फ दो देशों का युद्ध नहीं रहा, यह पूरे विश्व को प्रभावित करने वाला संकट बन चुका है। अब देखना यह होगा कि क्या आने वाले महीनों में कोई कूटनीतिक समाधान निकल पाएगा या यह संघर्ष और बढ़ेगा।